nand ka lala

जग ने जब तुझे पुकारा ,ओ नन्द के नंद लाला है रूप धर तूं आया , जग में सबसे निराला उतावली हुई सरिता भी पग छूने को शेषनाग ने अपना छत्र फैलाया गोकुल में मिली यशोदा मैया नन्द ने अपना लाल बताया बन बैठा वृन्दावन का तूं कन्हैया गोपियों संग रास रचाया बड़ी अनोखी लीला तेरी मुख में सारा ब्रम्हाण्ड दिखालाया दानव , दैत्य पर पड़े तूँ भारी गरीब सुदामा से तेरी यारी इंद्र ने जब गुरुर दिखलाया कनिष्ठा पे गोवर्धन उठाया जननी तेरी देवकी मैया कंस का वध कर उसे छुड़ाया महाभारत के युद्ध में तूने रिश्तो का मोल बताया अपनों से अपनों के इस युद्ध में जब सारे जग ने नीर बहाया विचलित देख अर्जुन को तूने भगवद गीता का पाठ पढ़ाया प्रेम की भाषा जग ने तुझसे सीखी कर्मयोग को तुझसे जाना राधा - कृष्ण के अमर प्रेम को हर एक प्रेमी ने माना है शुरू तेरे ही अंत से ये कलियुग हो रहा अंत अब धर्म का भी है तेरी ही आस अब तो जब तूने कहा था सम्भवामि युगे युगे
nand ka lala nand ka lala Reviewed by Chander Parmar on 2:56 AM Rating: 5

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